‘गोल्डन गर्ल’ हिमा दास : कभी पहनने को नहीं थे जूते, आज हैं स्टार एथलीट
हिमा दास की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत है जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है फिर भी वह अपने सपने के लिए अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ती, ये कहानी है हिमा दास की जिसने अपने संघर्ष तथा मेहनत के दम पर अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होते हुए भी सफलता प्राप्त की, हिमा की कहानी हमें बताती है कि आत्मविश्वास और मेहनत के दम पर हम किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकते है तो चलिए हिमा दास की शुरुआत से लेकर उनकी मेहनत तथा सफलता की कहानी शुरू करते है |
नाम |
हिमा दास |
जन्म तिथि |
09 जनवरी 2000 |
जन्म स्थान |
ढिंग गांव, जिला – नगांव, असम |
उम्र |
24 वर्ष (2024 में ) |
धर्म |
हिन्दू |
माता – पिता का नाम |
जोमोली दास – रोंजित दास |
राष्ट्रीयता |
भारतीय |
प्राथमिक शिक्षा |
जवाहर नवोदय विद्यालय |
खेल |
धावक |
हिमा दास का जन्म तथा परिवार :-
हिमा दास का जन्म 9 जनवरी, 2000 को असम राज्य के नगाँव जिले के ढिंग गाँव में हुआ था। वो एक गरीब परिवार से थी उनके पिता का नाम रोंजित दास है, जो चावल की खेती करते है और उनकी माँ का नाम जोमोली दास है जो एक गृहणी है, हिमा दास कुल पांच भाई-बहने हैं, जिनमें से वह सबसे छोटी है। हिमा के विद्यालय का नाम ‘जवाहर नवोदय विद्यालय’ था | हिमा को बचपन से ही खेल कूद का शौक था, हिमा को खेलों में फुटबॉल खेलना बहुत पसंद था, इसलिए वह फुटबॉल में ही अपना करियर बनाना चाहती थी, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था |
हिमा दास की दौड़ने की शुरुआत :-
एक दिन हिमा के विद्यालय के खेल शिक्षक शमशुल हक ने सलाह दी कि तुझे दौड़ना चाहिए इसके बाद हिमा ने दौड़ने पर ध्यान दिया फिर शमशुल हक ने हिमा की पहचान नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन में कराई, इसके बाद हिमा दास अपने हुनर तथा मेहनत के दम पर जिला स्तरीय प्रतियोगिता में चयनित हुईं, जिसमें हिमा ने दो स्वर्ण पदक भी जीते।
हिमा दास के गांव में कई बार बाढ़ के हालात बन जाते हैं जिससे जब हिमा अपने गांव में रहती थी, तो बाढ़ के कारण खेत और मैदान में पानी भर जाता था, जिसके कारण हिमा कई-कई दिन तक अपनी प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी।
एक बार जनवरी वर्ष 2017 में हिमा असम की राजधानी गुवाहाटी में एक कैंप में हिस्सा लेने आई थी, तब एक कोच निपोन दास की नज़र हिमा पर पड़ी। तब उन्होंने हिमा की काबिलियत को देखा, निपोन दास हिमा के बारे में कहते है कि – “वह जनवरी का महीना था, जब हिमा एक स्थानीय कैंप में हिस्सा लेने राजधानी गुवाहाटी आई थी, वह जिस तरह से ट्रैक पर दौड़ रही थी, मुझे लगा कि इस लड़की में आगे तक जाने की काबिलियत है।”
हिमा की काबिलियत को देखते हुए निपोन दास हिमा के माता-पिता से मिलने उनके गांव गए तथा हिमा के माता-पिता से कहा कि हिमा को आगे के प्रशिक्षण के लिए आपको उसे गुवाहाटी भेजना चाहिए, हिमा के माता-पिता अपनी बेटी को आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे पर हिमा के माता-पिता की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, कि वह हिमा को गुवाहाटी भेज सकें, निपोन दास ने इस समस्या का हल निकालते हुए हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्चा खुद उठाने की बात कही। जिसके बाद हिमा के माता-पिता हिमा को गुवाहाटी भेजने के लिए तैयार हो गए।
हिमा दास की सफलता की शुरुआत :-
इसके बाद हिमा का सफलता का सफर चालू हो गया, हिमा ने कई प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स में भी हिमा ने जीत दर्ज की। हिमा पहली ऐसी भारतीय महिला एथलीट बन गई है जिसने फ़िनलैंड में 2018 में हुए वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में स्वर्ण पदक जीता है। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में पूरी करके यह रिकॉर्ड बनाया है। हिमा के प्रदर्शन को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी ट्वीट करके हिमा को बधाई भी दी थी।
इसके बाद हिमा ने इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में भी 2 स्वर्ण पदक और 1 रजत पदक जीता और इसके बाद वर्ष 2019 में चेक रिपब्लिक में हुए अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी लगातार 5 स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम दुनिया में रोशन किया |
हिमा दास का सम्मान :-
हिमा दास को उनकी काबिलियत और शानदार प्रदर्शन के दम पर 25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 1 नवंबर 2019 को हिमा दास को अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध रियलिटी-शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भी बुलाया गया था। फरवरी, 2021 में हिमा को असम लोक सेवा आयोग द्वारा सीधे प्रवेश के माध्यम से असम पुलिस में पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्त किया गया है |
हिमा दास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन :-
- 100 मीटर रेस 11.74 सेकंड में पूरी की
- 200 मीटर रेस 23.10 सेकंड में पूरी की
- 400 मीटर रेस 50.79 सेकंड में पूरी की
निष्कर्ष :-
‘हिमा 20 दिन में 6 स्वर्ण पदक जीत चुकी है’, हिमा को ‘गोल्डन गर्ल’ और ‘ढिंग एक्सप्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है, हिमा की यह कहानी हर लड़की के लिए एक प्रेरणास्त्रोत (inspiration) है, कि अगर वह चाहे तो अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर जिंदगी में कुछ भी मुकाम हासिल कर सकती है |
हिमा की कहानी हमें बताती है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास और मेहनत की जरूरत होती है, कोई भी सपना पूरा करने के लिए सही दिशा तथा लगातार मेहनत की आवश्यकता होती है, इसलिए हमें अपने सपने या लक्ष्य के लिए अपनी उम्र, परिस्थिति और मुश्किलों से बाहर निकल कर सही दिशा में मेहनत करते रहना चाहिए एक दिन सफलता जरूर मिलेगी |
हिमा दास के बारे में जानकारी (FAQs) :-
प्रश्न :- हिमा दास कौन है ?
उत्तर :- हिमा दास एक धावक है जिसने 12 जुलाई 2018 को फिनलैंड के आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता था तथा 2018 के एशियाई खेलों में 400 मीटर की रेस में सिल्वर मेडल जीता था |
प्रश्न :- हिमा दास का जन्म कब हुआ था?
उत्तर :- हिमा दास का जन्म 9 जनवरी, 2000 को असम राज्य के नगाँव जिले के ढिंग गाँव में हुआ था।
प्रश्न :- हिमा दास को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है?
उत्तर :- हिमा दास को 25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रश्न :- हिमा दास के उपनाम क्या है?
उत्तर :- हिमा दास के उपनाम ‘गोल्डन गर्ल’ और ‘ढिंग एक्सप्रेस’ है।
प्रश्न :- हिमा दास ने कौन कौन से पदक जीते है ?
उत्तर :- हिमा दास ने आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल तथा एशियाई खेलों में 400 मीटर की रेस में सिल्वर मेडल जीता है |
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